Author: JUHI CHAUDHARY
Publisher: BookSquirrel Publication
ISBN:
Category : Fiction
Languages : en
Pages : 158
Book Description
"मानवता का कर विनाश यहां सब मतलब से ही जीते हैं एक किसी के गलत हो जाने पर सबको कड़वा घूँट ही देते हैं" हमारे समाज के दो पहिए हैं नर और नारी। यह सच है कि यहां नारी के साथ शुरुआती दौर से ही कुछ अलग व्यवहार और परंपरा है जिस के बोझ तले उसे हर पल दबाने की कोशिश की जाती है; पर अब उस दौर से लड़ने के लिए हमारा समाज बहुत आगे आ चुका है और साथ - ही - साथ यह भूलता जा रहा है कि हमारे समाज का एक पहिया नर भी है; उनकी भी भावनाएं हैं जो समाज की कुटनीतियों और एकतरफा झुकाव के कारण दबती जा रही है। "एक आदमी के छिपे हुए जज्बात" संग्रह में समाज की इसी असंतुलित विचारधारा पर प्रकाश डालने की कोशिश की गई है। शब्द - चित्रिण करते हुए हमारे सह - लेखकों और सह - लेखिकाओं ने पुरुषों के दबते जज्बातों को उजागर करने की कोशिश की है। "स्वभाव कुछ ऐसा बनाओ, नरभक्षी को भी इंसान बनाओ..."